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मोहंद्रा : बारहमासी जलस्रोत, बरसाती बनने के बाद अब अस्तित्व बचाने जूझ रहे


मोहंद्रा । कुछ साल पहले तक जिन प्राकृतिक बारहमासी नालों के पानी के सहारे ग्रामीणों ने अपनी दैनिक रोजमर्रा की जरूरतें पूरी की. खेती किसानी, पशुपालन सहित वहां के मोहल्लों की पहचान इन्हीं नालों से बनी. कुछ अरसा पहले तक यहां दिनभर नहाने वालों की भीड़ लगी रहती थी. सुबह से लेकर शाम तक महिलाएं कपड़े धोते देखी जा सकती थी. इन्हीं नालों से कुओं का जल स्तर तय होता था, पर धीरे-धीरे यह नाले अतिक्रमण के विस्तार के कारण सिकुड़ रहे हैं. कस्बे के अंदर हालत यह है कि अतिक्रमण की गंगा में छोटा हो या बड़ा, गरीब हो या अमीर सभी लोग डुबकी लगाना चाह रहे. अतिक्रमण रोक पाने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे राजस्व अमले और कुर्सी व बोट की खातिर आंखें बंद किए जनप्रतिनिधि अतिक्रमण का विरोध करने की बजाय उनके समर्थन में वकालत करते नजर आते हैं. चारों तरफ अंधाधुंध रफ्तार से बढ़ रहे अतिक्रमणकारियों ने कस्बे के जल स्रोतों को भी नहीं बख्शा है. कस्बे के आधा दर्जन सरकारी हैंडपंपों पर दबंगों व स्थानीय प्रभावशाली लोगों द्वारा निजी संबर्शियल मोटर डालकर उसका उपयोग किया जा रहा है. जबकि जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी जानकारी होने के बाद भी जल स्रोतों में हुए अतिक्रमण पर कार्रवाई करने की बजाय कागज कागज खेल रहे है. बहरहाल स्थानीय राजनीति से जुड़े नेता व जनप्रतिनिधि अपनी कुर्सी व वोट बैंक के चक्कर में तो सरकारी मुलाजिम नौकरी व सरकारी काम में हो रही धांधली की पोल खुलने के डर से सार्वजनिक जल स्रोतों को जरूर नष्ट करवाने में आमदा है।

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