
हटा : मौत और बेबसी का रास्ता, आजादी के 75 साल बाद भी सुविधाविहीन हैं ग्रामीण
हटा । कहने को तो देश आजाद हो चुका है ,प्रधानमंत्री देश को डिजिटल इंडिया बनाने का सपना देख रहे है पर वास्तविकता की गहराई में जाके देखा जाये तो आज भी कई बड़ी आबादी वाले गांव ऐसे है जहाँ बदलते जमाने का नामोनिशान भी नही दिखता ,मामला दमोह जिले के हटा तहसील की ग्राम पंचायत देवारागढी के भटदेवा गांव का है , जहाँ आजादी के 75 साल बाद भी लगभग 600 व्यक्तियों की आबादी वाले गांव को मूलभूत आवश्यकताओं के लिए जोडऩे वाले रास्ते पर सड़क का नामोनिशान नही है ,लोग बताते है कि शायद ही हो कोई नेता वोट मांगने के बाद इस गाँव की ओर भटका हो ,ग्रामीणों की बेबसी बरसात में और भी दुखद हो जाती है , न जाने कितनी ही महिलाओं को डिलेवरी के समय जैसे तैसे करके सिविल अस्पताल हटा तक पुहुचाया जाता है ,बीते वर्ष दुर्गम रास्ते पर ट्रैक्टर पलट जाने से एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है ,समस्या पर निजात पाने ग्रामीणों ने अपने चुने गए जनप्रतिनिधियों के पास भी कई सालों से चक्कर लगाए पर अफसोस आज तक उनकी समस्याओं की कोई सुध जनप्रतिनिधियों द्वारा नही ली गई बताते है कि वर्ष 2010 में वर्धा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आए थे तब उन्हें भी एक आवेदन दिया था, उसके बाद 2014 में सांसद प्रहलाद सिंह पटेल, 2014 में तत्कालीन विधायक उमादेवी खटीक को, 2016 रामकृष्ण कुसमरिया तत्कालीन कृषि मंत्री मध्य प्रदेश शासन, वर्ष 2017 में जिला कलेक्टर को, 2019 को गोपाल भार्गव वर्तमान में मध्यप्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री , 2020 में वर्तमान के विधायक पीएल तंतुवाय , सरपंच सचिव एवं समस्त अधिकारियों से समय-समय पर ज्ञापन के माध्यम से रोड बनाने की मांग ग्रामीणों द्वारा की गई पर केंद्र और प्रदेश दोनों में राज करने वाली सरकार ग्रामीणों को सड़क मुहैया न करा पाई जिसके बाद अब जाके समूचे गाँव ने चुनाव बहिष्कार का फैसला लिया है ,ग्रामीण कहते है लोकतंत्र अर्थात जनता का शासन जब हमारे द्वारा चुना गया जनप्रतिनिधि ही हमारी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा नही कर सकता तो ऐसे चुनाव का क्या फायदा,इसलिए हम सब अब से सड़क न बनने तक चुनाव का पूर्ण वहिष्कार करते है।
उक्त विषय पर मुझे जानकारी है मैंने इस संबंध में मुख्यमंत्री जी प्रस्ताव भेजा है उनका आश्वासन भी मिला है ।
पी. एल. तन्तुवाय, हटा विधायक
रविकांत बिदोल्या हटा