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दांडी यात्रा की 95वीं वर्षगांठ: नमक सत्याग्रह की यादें ताजा

आज से 95 साल पहले, 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ एक ऐतिहासिक यात्रा शुरू की थी, जिसे दांडी यात्रा या नमक सत्याग्रह कहा जाता है। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं थी, बल्कि आज़ादी की लड़ाई में एक बड़ा कदम था।आज की इस खबर में हम आपको बतायेगे दांडी यात्रा की पूरी कहानी .

क्या थी दांडी यात्रा?

उस समय अंग्रेजों ने एक कड़ा कानून बना रखा था कि भारत के लोग अपना नमक खुद नहीं बना सकते और उन्हें सिर्फ अंग्रेजों से महंगा नमक खरीदना पड़ेगा। गांधीजी को यह अन्याय मंजूर नहीं था। उन्होंने गुजरात के साबरमती आश्रम से 78 लोगों के साथ पैदल यात्रा शुरू की और करीब 24 दिन में 386 किलोमीटर चलकर दांडी गांव पहुंचे। वहाँ पहुँचकर उन्होंने समुद्र तट से नमक उठाया और अंग्रेजों के कानून को तोड़ दिया।

इस यात्रा का असर

पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन तेज हो गया।हज़ारों लोगों ने गांधीजी के इस कदम का समर्थन किया और सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुए।अंग्रेजों को अहिंसक आंदोलन के सामने झुकना पड़ा और यह भारत की आज़ादी की लड़ाई में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ।

आज भी क्यों महत्वपूर्ण है यह यात्रा?

दांडी यात्रा हमें सिखाती है कि अहिंसा और एकजुटता से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। यह सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है कि अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठानी जरूरी है।

आज, जब हम इस यात्रा की 95वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, तो हमें महात्मा गांधी और उन वीर सत्याग्रहियों की याद करनी चाहिए, जिन्होंने अपनी हिम्मत से देश को आज़ादी की राह पर आगे बढ़ाया।

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