उत्तर प्रदेशबुंदेली

बड़ी संख्या में इस बीमारी की चपेट में हैं बुंदेलखंड के लोग. 10 हजार में से किसी एक को होती है यह खतरनाक बीमारी

बुंदेलखंड के झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में 114 लोगों का हीमोफीलिया बीमारी का इलाज चल रहा है. जो झांसी, ललितपुर, जालौन सहित बुन्देलखण्ड के अन्य जनपदों के या मध्य प्रदेश के मूल निवासी हैं.

मेडिकल कॉलेज झाँसी की तस्वीर.

यह हीमोफीलिया एक ऐसी आनुवंशिक बीमारी है. जो जीवन को बेहद तकलीफ देह बना देती है. चोट लगने या दुर्घटना में यह बीमारी जानलेवा साबित होती है. क्योंकि इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के रक्त का बहना जल्दी बंद नहीं होता. बुन्देलखण्ड में इस बीमारी की चपेट में बड़ी संख्या में लोग हैं. जिनमें से अधिकतर युवा और बच्चे हैं. अकेले झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में 114 ऐसे लोगों का इलाज चल रहा है. जो झांसी के अलावा ललितपुर, जालौन सहित बुन्देलखण्ड के अन्य जनपदों के या मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं.

17 अप्रैल को हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है.

झांसी के राहुल की उम्र 24 साल है. राहुल के मुताबिक पिछले 6-7 वर्षों से उनका इलाज मेडिकल कॉलेज में चल रहा है. राहुल को फैक्टर-8 के इंजेक्शन दिए जाते हैं. राहुल बचपन से ही इस बीमारी की वजह से परेशानी का सामना करते आए हैं. ललितपुर जिले के वंश की उम्र मात्र 5 साल है. वंश के दादा बताते हैं कि पिछले वर्ष पेट में अंदरूनी चोट लगने से एक प्रकार का ट्यूमर हो गया था. जिसको सर्जरी के माध्यम से निकालना पड़ा था. इस तरह के और भी अन्य मरीज भी हैं. जिनका मेडिकल कॉलेज झाँसी में इलाज चल रहा है।

सांकेतिक तस्वीर.

बुंदेलखंड क्षेत्र के लगभग 114 मरीज इस समय इस हीमोफीलिया से ग्रस्त हैं. जिनका झांसी के मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है. इनमें से 8 मरीज फ़ेक्टर-9 हीमोफीलिया के हैं. जिसमें ज़्यादातर बच्चे एवं युवा हैं. मेडिकल कॉलेज में इस बीमारी का इलाज शुरू होने से पूर्व मरीजों को दिल्ली, कानपुर, मुंबई या अन्य जगहों पर जाना पड़ता था. बाल रोग विभागाध्यक्ष एवं हीमोफीलिया विभाग के इंचार्ज डॉ ओमशंकर चौरसिया बताते हैं कि हीमोफीलिया एक अनुवांशिक बीमारी है जो पुरुषों में क्लोटिंग फ़ेक्टर कि कमी से होती है. इसमें रक्तस्राव होने पर खून रुकता नहीं है. आमतौर पर ऐसे मरीजों को क्लोटिंग फ़ेक्टर की दवाएं दी जाती हैं.

रिपोर्ट -: आश अनुरुद्ध

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