बुंदेली

बिहार में बच्चों की मौत पे बुंदेली गजल : दर्द की इंतेहां


बुंदेली बतरस @ राकेश अचल
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मोटी खाल ,सरम नहीं आ रई
गालन पै फिर लाली छा रई 
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चमकी ने सब दिया बुझा दये 
बैठी बुआ खूब नर्रा रई 
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अस्पताल हैं नरक इतै के 
कमरन में उबकाई आ रई 
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संसद में गुड़ खा कें बैठे 
गूंगी फ़ौज मुड़ी खजुआ रई 
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लोकतंत्र खों देखो जनता 
जनम-जनम सें खून पिया रई 
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चौमासे लग गए पता है 
छत्त अबै सें फिर चुचिया रई 

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